शिक्षा Which is real education ?
1
सीख सीखने योग्य सब, भ्रम संशय बिन सीख ।
कर उसके अनुसार फिर, योग्य आचरण ठीक ॥
2
अक्षर कहते है जिसे, जिसको कहते आँक ।
दोनों जीवित मनुज के, कहलाते हैं आँख ॥
3
कहलाते हैं नेत्रयुत, जो हैं विद्यावान ।
मुख पर रखते घाव दो, जो है अपढ़ अजान ॥
4
हर्षप्रद होता मिलन, चिन्ताजनक वियोग ।
विद्वज्जन का धर्म है, ऐसा गुण-संयोग ॥
5
धनी समक्ष दरिद्र सम, झुक झुक हो कर दीन ।
शिक्षित बनना श्रेष्ठ है, निकृष्ट विद्याहीन ॥
6
जितना खोदो पुलिन में, उतना नीर-निकास ।
जितना शिक्षित नर बने, उतना बुद्धि-विकास ॥
7
अपना है विद्वान का, कोई पुर या राज ।
फिर क्यों रहता मृत्यु तक, कोई अपढ़ अकाज ॥
8
जो विद्या इक जन्म में, नर से पायी जाय ।
सात जन्म तक भी उसे, करती वही सहाय ॥
9
हर्ष हेतु अपने लिये, वैसे जग हित जान ।
उस विद्या में और रत, होते हैं विद्वान ॥
10
शिक्षा-धन है मनुज हित, अक्षय और यथेष्ट ।
अन्य सभी संपत्तियाँ, होती हैं नहिं श्रेष्ठ ॥
सीख सीखने योग्य सब, भ्रम संशय बिन सीख ।
कर उसके अनुसार फिर, योग्य आचरण ठीक ॥
2
अक्षर कहते है जिसे, जिसको कहते आँक ।
दोनों जीवित मनुज के, कहलाते हैं आँख ॥
3
कहलाते हैं नेत्रयुत, जो हैं विद्यावान ।
मुख पर रखते घाव दो, जो है अपढ़ अजान ॥
4
हर्षप्रद होता मिलन, चिन्ताजनक वियोग ।
विद्वज्जन का धर्म है, ऐसा गुण-संयोग ॥
5
धनी समक्ष दरिद्र सम, झुक झुक हो कर दीन ।
शिक्षित बनना श्रेष्ठ है, निकृष्ट विद्याहीन ॥
6
जितना खोदो पुलिन में, उतना नीर-निकास ।
जितना शिक्षित नर बने, उतना बुद्धि-विकास ॥
7
अपना है विद्वान का, कोई पुर या राज ।
फिर क्यों रहता मृत्यु तक, कोई अपढ़ अकाज ॥
8
जो विद्या इक जन्म में, नर से पायी जाय ।
सात जन्म तक भी उसे, करती वही सहाय ॥
9
हर्ष हेतु अपने लिये, वैसे जग हित जान ।
उस विद्या में और रत, होते हैं विद्वान ॥
10
शिक्षा-धन है मनुज हित, अक्षय और यथेष्ट ।
अन्य सभी संपत्तियाँ, होती हैं नहिं श्रेष्ठ ॥
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