तत्वज्ञान Philosophy that supreme power is God & he is kind to us

1
मिथ्या में जब सत्य का, होता भ्रम से भान ।
देता है भव-दुःख को, भ्रममूलक वह ज्ञान ।


2
मोह-मुक्त हो पा गये, निर्मल तत्वज्ञान ।
भव-तम को वह दूर कर, दे आनन्द महान ॥


3
जिसने संशय-मुक्त हो, पाया ज्ञान-प्रदीप ।
उसको पृथ्वी से अधिक, रहता मोक्ष समीप ॥


4
वशीभूत मन हो गया, हुई धारणा सिद्ध ।
फिर भी तत्वज्ञान बिन, फल होगा नहिं सिद्ध ॥


5
किसी तरह भी क्यों नहीं, भासे अमुक पदार्थ ।
तथ्य-बोध उस वस्तु का, जानो ज्ञान पथार्थ ॥

 6
जिसने पाया श्रवण से, यहीं तत्व का ज्ञान ।
मोक्ष-मार्ग में अग्रसर, होता वह धीमान ॥


7
उपदेशों को मनन कर, सत्य-बोध हो जाय ।
पुनर्जन्म की तो उन्हें, चिन्ता नहिं रह जाय ॥


8
जन्म-मूल अज्ञान है, उसके निवारणार्थ ।
मोक्ष-मूल परमार्थ का, दर्शन ज्ञान पथार्थ ॥


9
जगदाश्रय को समझ यदि, बनो स्वयं निर्लिप्त ।
नाशक भावी दुःख सब, करें कभी नहिं लिप्त ॥


10
काम क्रोध औ’ मोह का न हो नाम का योग ।
तीनों के मिटते, मिटे, कर्म-फलों का रोग ॥

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