तप Meditation is cure for soul like medicine for body.
1
तप नियमों को पालते, सहना कष्ट महान ।
जीव-हानि-वर्जन तथा, तप का यही निशान ॥
2
तप भी बस उनका रहा, जिनको है वह प्राप्त ।
यत्न वृथा उसके लिये, यदि हो वह अप्राप्त ॥
3
भोजनादि उपचार से, तपसी सेवा-धर्म ।
करने हित क्या अन्य सब, भूल गये तप-कर्म ॥
4
दुखदायी रिपु का दमन, प्रिय जन क उत्थान ।
स्मरण मात्र से हो सके, तप के बल अम्लान ॥
5
तप से सब कुछ प्राप्य हैं, जो चाहे जिस काल ।
इससे तप-साधन यहाँ, करना है तत्काल ॥
6
वही पुरुष कृतकृत्य है, जो करता तप-कर्म ।
करें कामवश अन्य सब, स्वहानिकारक कर्म ॥
7
तप तप कर ज्यों स्वर्ण की, होती निर्मल कान्ति ।
तपन ताप से ही तपी, चमक उठें उस भाँति ॥
8
आत्म-बोध जिनको हुआ, करके वश निज जीव ।
उनको करते वंदना, शेष जगत के जीव ॥
9
जिस तपसी को प्राप्त है, तप की शक्ति महान ।
यम पर भी उसकी विजय, संभव है तू जान ॥
10
निर्धन जन-गणना अधिक, इसका कौन निदान ।
तप नहिं करते बहुत जन, कम हैं तपोनिधान ॥
तप नियमों को पालते, सहना कष्ट महान ।
जीव-हानि-वर्जन तथा, तप का यही निशान ॥
2
तप भी बस उनका रहा, जिनको है वह प्राप्त ।
यत्न वृथा उसके लिये, यदि हो वह अप्राप्त ॥
3
भोजनादि उपचार से, तपसी सेवा-धर्म ।
करने हित क्या अन्य सब, भूल गये तप-कर्म ॥
4
दुखदायी रिपु का दमन, प्रिय जन क उत्थान ।
स्मरण मात्र से हो सके, तप के बल अम्लान ॥
5
तप से सब कुछ प्राप्य हैं, जो चाहे जिस काल ।
इससे तप-साधन यहाँ, करना है तत्काल ॥
6
वही पुरुष कृतकृत्य है, जो करता तप-कर्म ।
करें कामवश अन्य सब, स्वहानिकारक कर्म ॥
7
तप तप कर ज्यों स्वर्ण की, होती निर्मल कान्ति ।
तपन ताप से ही तपी, चमक उठें उस भाँति ॥
8
आत्म-बोध जिनको हुआ, करके वश निज जीव ।
उनको करते वंदना, शेष जगत के जीव ॥
9
जिस तपसी को प्राप्त है, तप की शक्ति महान ।
यम पर भी उसकी विजय, संभव है तू जान ॥
10
निर्धन जन-गणना अधिक, इसका कौन निदान ।
तप नहिं करते बहुत जन, कम हैं तपोनिधान ॥
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