राष्ट्र Great nation quality
1
अक्षय उपज सुयोग्य जन, ह्रासहीन धनवान ।
मिल कर रहते हैं जहाँ, है वह राष्ट्र महान ॥
2
अति धन से कमनीय बन, नाशहीनता युक्त ।
प्रचुर उपज होती जहाँ, राष्ट्र वही है उक्त ॥
3
एक साथ जब आ पड़ें, तब भी सह सब भार ।
देता जो राजस्व सब, है वह राष्ट्र अपार ॥
4
भूख अपार न है जहाँ, रोग निरंतर है न ।
और न नाशक शत्रु भी, श्रेष्ठ राष्ट्र की सैन ॥
5
होते नहीं, विभिन्न दल, नाशक अंतर-वैर ।
नृप-कंटक खूनी नहीं, वही राष्ट्र है, ख़ैर ॥
6
नाश न होता, यदि हुआ, तो भी उपज यथेष्ट ।
जिसमें कम होती नहीं, वह राष्ट्रों में श्रेष्ठ ॥
7
कूप सरोवर नद-नदी, इनके पानी संग ।
सुस्थित पर्वत सुदृढ़ गढ़, बनते राष्ट्र-सुअंग ॥
8
प्रचुर उपज, नीरोगता, प्रसन्नता, ऐश्वर्य ।
और सुरक्षा, पाँच हैं, राष्ट्र-अलंकृति वर्य ॥
9
राष्ट्र वही जिसकी उपज, होती है बिन यत्न ।
राष्ट्र नहीं वह यदि उपज, होती है कर यत्न ॥
10
उपर्युक्त साधन सभी, होते हुए अपार ।
प्रजा-भूप-सद्भाव बिन, राष्ट्र रहा बेकार ॥
अक्षय उपज सुयोग्य जन, ह्रासहीन धनवान ।
मिल कर रहते हैं जहाँ, है वह राष्ट्र महान ॥
2
अति धन से कमनीय बन, नाशहीनता युक्त ।
प्रचुर उपज होती जहाँ, राष्ट्र वही है उक्त ॥
3
एक साथ जब आ पड़ें, तब भी सह सब भार ।
देता जो राजस्व सब, है वह राष्ट्र अपार ॥
4
भूख अपार न है जहाँ, रोग निरंतर है न ।
और न नाशक शत्रु भी, श्रेष्ठ राष्ट्र की सैन ॥
5
होते नहीं, विभिन्न दल, नाशक अंतर-वैर ।
नृप-कंटक खूनी नहीं, वही राष्ट्र है, ख़ैर ॥
6
नाश न होता, यदि हुआ, तो भी उपज यथेष्ट ।
जिसमें कम होती नहीं, वह राष्ट्रों में श्रेष्ठ ॥
7
कूप सरोवर नद-नदी, इनके पानी संग ।
सुस्थित पर्वत सुदृढ़ गढ़, बनते राष्ट्र-सुअंग ॥
8
प्रचुर उपज, नीरोगता, प्रसन्नता, ऐश्वर्य ।
और सुरक्षा, पाँच हैं, राष्ट्र-अलंकृति वर्य ॥
9
राष्ट्र वही जिसकी उपज, होती है बिन यत्न ।
राष्ट्र नहीं वह यदि उपज, होती है कर यत्न ॥
10
उपर्युक्त साधन सभी, होते हुए अपार ।
प्रजा-भूप-सद्भाव बिन, राष्ट्र रहा बेकार ॥
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