अमात्य Good Minister
1
साधन, काल, उपाय औ’, कार्यसिद्धि दुस्साध्य ।
इनका श्रेष्ठ विधान जो, करता वही अमात्य ॥
2
दृढ़ता, कुल-रक्षण तथा, यत्न, सुशिक्षा, ज्ञान ।
पाँच गुणों से युक्त जो, वही अमात्य सुजान ॥
3
फूट डालना शत्रु में, पालन मैत्री-भाव ।
लेना बिछुड़ों को मिला, योग्य आमात्य-स्वभाव ॥
4
विश्लेषण करता तथा, परख कार्य को साध्य ।
दृढ़ता पूर्वक मंत्रणा, देता योग्य अमात्य ॥
5
धर्म जान, संयम सहित, ज्ञानपूर्ण कर बात ।
सदा समझता शक्ति को, साथी है वह ख्यात ॥
6
शास्त्र जानते जो रहा, सूक्ष्म बुद्धि का भौन ।
उसका करते सामना, सूक्ष्म प्रश्न अति कौन ॥
7
यद्यपि विधियों का रहा, शास्त्र रीति से ज्ञान ।
फिर भी करना चाहिये, लोकरीति को जान ॥
8
हत्या कर उपदेश की, खुद हो अज्ञ नरेश ।
फिर भी धर्म अमात्य का, देना दृढ़ उपदेश ॥
9
हानि विचारे निकट रह, यदि दुर्मंत्री एक ।
उससे सत्तर कोटि रिपु, मानों बढ़ कर नेक ॥
10
यद्यपि क्रम से सोच कर, शुरू करे सब कर्म ।
जिनमें दृढ़ क्षमता नहीं, करें अधूरा कर्म ॥
साधन, काल, उपाय औ’, कार्यसिद्धि दुस्साध्य ।
इनका श्रेष्ठ विधान जो, करता वही अमात्य ॥
2
दृढ़ता, कुल-रक्षण तथा, यत्न, सुशिक्षा, ज्ञान ।
पाँच गुणों से युक्त जो, वही अमात्य सुजान ॥
3
फूट डालना शत्रु में, पालन मैत्री-भाव ।
लेना बिछुड़ों को मिला, योग्य आमात्य-स्वभाव ॥
4
विश्लेषण करता तथा, परख कार्य को साध्य ।
दृढ़ता पूर्वक मंत्रणा, देता योग्य अमात्य ॥
5
धर्म जान, संयम सहित, ज्ञानपूर्ण कर बात ।
सदा समझता शक्ति को, साथी है वह ख्यात ॥
6
शास्त्र जानते जो रहा, सूक्ष्म बुद्धि का भौन ।
उसका करते सामना, सूक्ष्म प्रश्न अति कौन ॥
7
यद्यपि विधियों का रहा, शास्त्र रीति से ज्ञान ।
फिर भी करना चाहिये, लोकरीति को जान ॥
8
हत्या कर उपदेश की, खुद हो अज्ञ नरेश ।
फिर भी धर्म अमात्य का, देना दृढ़ उपदेश ॥
9
हानि विचारे निकट रह, यदि दुर्मंत्री एक ।
उससे सत्तर कोटि रिपु, मानों बढ़ कर नेक ॥
10
यद्यपि क्रम से सोच कर, शुरू करे सब कर्म ।
जिनमें दृढ़ क्षमता नहीं, करें अधूरा कर्म ॥
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