वृथालाप निषेध Ignore unwanted speech
1
बहु जन सुन करते घृणा, यों जो करे प्रलाप ।
सर्व जनों का वह बने, उपहासास्पद आप ॥
2
बुद्धिमान जनवृन्द के, सम्मुख किया प्रलाप ।
अप्रिय करनी मित्र प्रति, करने से अति पाप ॥
3
लम्बी-चौड़ी बात जो, होती अर्थ-विहीन ।
घोषित करती है वही, वक्ता नीति-विहीन ॥
4
संस्कृत नहीं, निरर्थ हैं, सभा मध्य हैं उक्त ।
करते ऐसे शब्द हैं, सुगुण व नीति-वियुक्त ॥
5
निब्फल शब्द अगर कहे, कोई चरित्रवान ।
हो जावे उससे अलग, कीर्ति तथा सम्मान ॥
6
जिसको निब्फल शब्द में, रहती है आसक्ति ।
कह ना तू उसको मनुज, कहना थोथा व्यक्ति ॥
7
कहें भले ही साधुजन, कहीं अनय के शब्द ।
मगर इसी में है भला, कहें न निब्फल शब्द ॥
8
उत्तम फल की परख का, जिनमें होगा ज्ञान ।
महा प्रयोजन रहित वच, बोलेंगे नहिं जान ॥
9
तत्वज्ञानी पुरुष जो, माया-भ्रम से मुक्त ।
विस्मृति से भी ना कहें, वच जो अर्थ-वियुक्त ॥
200
कहना ऐसा शब्द ही, जिससे होवे लाभ ।
कहना मत ऐसा वचन, जिससे कुछ नहिं लाभ ॥
बहु जन सुन करते घृणा, यों जो करे प्रलाप ।
सर्व जनों का वह बने, उपहासास्पद आप ॥
2
बुद्धिमान जनवृन्द के, सम्मुख किया प्रलाप ।
अप्रिय करनी मित्र प्रति, करने से अति पाप ॥
3
लम्बी-चौड़ी बात जो, होती अर्थ-विहीन ।
घोषित करती है वही, वक्ता नीति-विहीन ॥
4
संस्कृत नहीं, निरर्थ हैं, सभा मध्य हैं उक्त ।
करते ऐसे शब्द हैं, सुगुण व नीति-वियुक्त ॥
5
निब्फल शब्द अगर कहे, कोई चरित्रवान ।
हो जावे उससे अलग, कीर्ति तथा सम्मान ॥
6
जिसको निब्फल शब्द में, रहती है आसक्ति ।
कह ना तू उसको मनुज, कहना थोथा व्यक्ति ॥
7
कहें भले ही साधुजन, कहीं अनय के शब्द ।
मगर इसी में है भला, कहें न निब्फल शब्द ॥
8
उत्तम फल की परख का, जिनमें होगा ज्ञान ।
महा प्रयोजन रहित वच, बोलेंगे नहिं जान ॥
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तत्वज्ञानी पुरुष जो, माया-भ्रम से मुक्त ।
विस्मृति से भी ना कहें, वच जो अर्थ-वियुक्त ॥
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कहना ऐसा शब्द ही, जिससे होवे लाभ ।
कहना मत ऐसा वचन, जिससे कुछ नहिं लाभ ॥
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