परख कर कार्य सौंपना Allotting work after cross varification
1
भले-बुरे को परख जो, करता भला पसंद ।
उसके योग्य नियुक्ति को, करना सही प्रबन्ध ॥
2
आय-वृद्धि-साधन बढ़ा, धन-वर्द्धक कर कार्य ।
विघ्न परख जो टालता, वही करे नृप-कार्य ॥
3
प्रेम, बुद्धि, दृढ़-चित्तता, निर्लोभता-सुनीति ।
चारों जिसमें पूर्ण हों, उसपर करो प्रतीति ॥
4
सभी तरह की परख से, योग्य दिखें जो लोग ।
उनमें कार्य निबाहते, विकृत बने बहु लोग ॥
5
जो करता है धैर्य से, खूब समझ सदुपाय ।
उसे छोड़ प्रिय बन्धु को, कार्य न सौंपा जाय ॥
6
कर्ता का लक्षण परख, परख कर्म की रीति ।
संयोजित कर काल से, सौंपों सहित प्रतीति ॥
7
इस साधन से व्यक्ति यह, कर सकता यह कार्य ।
परिशीलन कर इस तरह, सौंप उसे वह कार्य ॥
8
यदि पाया इक व्यक्ति को, परख कार्य के योग्य ।
तो फिर उसे नियुक्त कर, पदवी देना योग्य ॥
9
तत्परता-वश कार्य में, हुआ मित्र व्यवहार ।
उसको समझे अन्यता, तो श्री जावे पार ॥
10
राज-भृत्य यदि विकृत नहिं, विकृत न होगा राज ।
रोज़ परखना चाहिये, नृप को उसका काज ॥
भले-बुरे को परख जो, करता भला पसंद ।
उसके योग्य नियुक्ति को, करना सही प्रबन्ध ॥
2
आय-वृद्धि-साधन बढ़ा, धन-वर्द्धक कर कार्य ।
विघ्न परख जो टालता, वही करे नृप-कार्य ॥
3
प्रेम, बुद्धि, दृढ़-चित्तता, निर्लोभता-सुनीति ।
चारों जिसमें पूर्ण हों, उसपर करो प्रतीति ॥
4
सभी तरह की परख से, योग्य दिखें जो लोग ।
उनमें कार्य निबाहते, विकृत बने बहु लोग ॥
5
जो करता है धैर्य से, खूब समझ सदुपाय ।
उसे छोड़ प्रिय बन्धु को, कार्य न सौंपा जाय ॥
6
कर्ता का लक्षण परख, परख कर्म की रीति ।
संयोजित कर काल से, सौंपों सहित प्रतीति ॥
7
इस साधन से व्यक्ति यह, कर सकता यह कार्य ।
परिशीलन कर इस तरह, सौंप उसे वह कार्य ॥
8
यदि पाया इक व्यक्ति को, परख कार्य के योग्य ।
तो फिर उसे नियुक्त कर, पदवी देना योग्य ॥
9
तत्परता-वश कार्य में, हुआ मित्र व्यवहार ।
उसको समझे अन्यता, तो श्री जावे पार ॥
10
राज-भृत्य यदि विकृत नहिं, विकृत न होगा राज ।
रोज़ परखना चाहिये, नृप को उसका काज ॥
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