सभा ज्ञान Knowledge about association
1
शब्द-शक्ति के ज्ञानयुत, जो हैं पावन लोग ।
समझ सभा को, सोच कर, करना शब्द-प्रयोग ॥
2
शब्दों की शैली समझ, जिनको है अधिकार ।
सभासदों का देख रुख़, बोलें स्पष्ट प्रकार ॥
3
उद्यत हो जो बोलने, सभा-प्रकृति से अज्ञ ।
भाषण में असमर्थ वे, शब्द-रीति से अज्ञ ॥
4
प्राज्ञों के सम्मुख रहो, तुम भी प्राज्ञ सुजान ।
मूर्खों के सम्मुख बनो, चून सफेद समान ॥
5
भले गुणों में है भला, ज्ञानी गुरुजन मध्य ।
आगे बढ़ बोलें नहीं, ऐसा संयम पथ्य ॥
6
विद्वानों के सामने, जिनका विस्तृत ज्ञान ।
जो पा गया कलंक, वह, योग-भ्रष्ट समान ॥
7
निपुण पारखी शब्द के, जो हैं, उनके पास ।
विद्वत्ता शास्त्रज्ञ की, पाती खूब प्रकाश ॥
8
बुद्धिमान के सामने, जो बोलता सुजान ।
क्यारी बढ़ती फसल की, यथा सींचना जान ॥
9
सज्जन-मण्डल में करें, जो प्रभावकर बात ।
मूर्ख-सभा में भूल भी, करें न कोई बात ॥
10
यथा उँडेला अमृत है, आंगन में अपवित्र ।
भाषण देना है वहाँ, जहाँ न गण हैं मित्र ॥
शब्द-शक्ति के ज्ञानयुत, जो हैं पावन लोग ।
समझ सभा को, सोच कर, करना शब्द-प्रयोग ॥
2
शब्दों की शैली समझ, जिनको है अधिकार ।
सभासदों का देख रुख़, बोलें स्पष्ट प्रकार ॥
3
उद्यत हो जो बोलने, सभा-प्रकृति से अज्ञ ।
भाषण में असमर्थ वे, शब्द-रीति से अज्ञ ॥
4
प्राज्ञों के सम्मुख रहो, तुम भी प्राज्ञ सुजान ।
मूर्खों के सम्मुख बनो, चून सफेद समान ॥
5
भले गुणों में है भला, ज्ञानी गुरुजन मध्य ।
आगे बढ़ बोलें नहीं, ऐसा संयम पथ्य ॥
6
विद्वानों के सामने, जिनका विस्तृत ज्ञान ।
जो पा गया कलंक, वह, योग-भ्रष्ट समान ॥
7
निपुण पारखी शब्द के, जो हैं, उनके पास ।
विद्वत्ता शास्त्रज्ञ की, पाती खूब प्रकाश ॥
8
बुद्धिमान के सामने, जो बोलता सुजान ।
क्यारी बढ़ती फसल की, यथा सींचना जान ॥
9
सज्जन-मण्डल में करें, जो प्रभावकर बात ।
मूर्ख-सभा में भूल भी, करें न कोई बात ॥
10
यथा उँडेला अमृत है, आंगन में अपवित्र ।
भाषण देना है वहाँ, जहाँ न गण हैं मित्र ॥
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