कृतज्ञता Be thankful to who help us
1.
उपकृत हुए बिना करे, यदि कोइ उपकार ।
दे कर भू सुर-लोक भी, मुक्त न हो आभार ॥
2
अति संकट के समय पर, किया गया उपकार ।
भू से अधिक महान है, यद्यपि अल्पाकार ॥
3
स्वार्थरहित कृत मदद का, यदि गुण आंका जाय ।
उदधि-बड़ाई से बड़ा, वह गुण माना जाय ॥
4
उपकृति तिल भर ही हुई, तो भी उसे सुजान ।
मानें ऊँचे ताड़ सम, सुफल इसी में जान ॥
5
सीमित नहिं, उपकार तक, प्रत्युपकार- प्रमाण ।
जितनी उपकृत-योग्यता, उतना उसका मान ॥
6
निर्दोषों की मित्रता, कभी न जाना भूल ।
आपद-बंधु स्नेह को, कभी न तजना भूल ॥
7
जिसने दुःख मिटा दिया, उसका स्नेह स्वभाव ।
सात जन्म तक भी स्मरण, करते महानुभाव ॥
8
भला नहीं है भूलना, जो भी हो उपकार ।
भला यही झट भूलना, कोई भी अपकार ॥
9
हत्या सम कोई करे, अगर बड़ी कुछ हानि ।
उसकी इक उपकार-स्मृति, करे हानि की हानि ॥
10
जो भी पातक नर करें, संभव है उद्धार ।
पर है नहीं कृतघ्न का, संभव ही निस्तार ॥
उपकृत हुए बिना करे, यदि कोइ उपकार ।
दे कर भू सुर-लोक भी, मुक्त न हो आभार ॥
2
अति संकट के समय पर, किया गया उपकार ।
भू से अधिक महान है, यद्यपि अल्पाकार ॥
3
स्वार्थरहित कृत मदद का, यदि गुण आंका जाय ।
उदधि-बड़ाई से बड़ा, वह गुण माना जाय ॥
4
उपकृति तिल भर ही हुई, तो भी उसे सुजान ।
मानें ऊँचे ताड़ सम, सुफल इसी में जान ॥
5
सीमित नहिं, उपकार तक, प्रत्युपकार- प्रमाण ।
जितनी उपकृत-योग्यता, उतना उसका मान ॥
6
निर्दोषों की मित्रता, कभी न जाना भूल ।
आपद-बंधु स्नेह को, कभी न तजना भूल ॥
7
जिसने दुःख मिटा दिया, उसका स्नेह स्वभाव ।
सात जन्म तक भी स्मरण, करते महानुभाव ॥
8
भला नहीं है भूलना, जो भी हो उपकार ।
भला यही झट भूलना, कोई भी अपकार ॥
9
हत्या सम कोई करे, अगर बड़ी कुछ हानि ।
उसकी इक उपकार-स्मृति, करे हानि की हानि ॥
10
जो भी पातक नर करें, संभव है उद्धार ।
पर है नहीं कृतघ्न का, संभव ही निस्तार ॥
उपकृत हुए बिना करे, यदि कोइ उपकार ।
ReplyDeleteदे कर भू सुर-लोक भी, मुक्त न हो आभार ॥