परख कर विश्वास करना Believing after cross varifacation
1
धर्म-अर्थ औ’ काम से, मिला प्राण-भय चार ।
इन उपधाओं से परख, विश्वस्त है विचार ॥
2
जो कुलीन निर्दोष हो, निन्दा से भयभीत ।
तथा लजीला हो वही, विश्वस्त है पुनीत ॥
3
ज्ञाता विशिष्ट शास्त्र के, औ’ निर्दोष स्वभाव ।
फिर भी परखो तो उन्हें, नहिं अज्ञता-अभाव ॥
4
परख गुणों को फिर परख, दोषों को भी छान ।
उनमें बहुतायत परख, उससे कर पहचान ॥
5
महिमा या लघिमा सही, इनकी करने जाँच ।
नर के निज निज कर्म ही, बनें कसौटी साँच ॥
6
विश्वसनीय न मानिये, बन्धुहीन जो लोग ।
निन्दा से लज्जित न हैं, स्नेह शून्य वे लोग ॥
7
मूर्ख जनों पर प्रेमवश, जो करता विश्वास ।
सभी तरह से वह बने, जड़ता का आवास ।
8
परखे बिन अज्ञात पर, किया अगर विश्वास ।
संतित को चिरकाल तक, लेनी पड़े असाँस ॥
9
किसी व्यक्ति पर मत करो, परखे बिन विश्वास ।
बेशक सौंपो योग्य यद, करने पर विश्वास ॥
10
परखे बिन विश्वास भी, औ’ करके विश्वास ।
फिर करना सन्देह भी, देते हैं चिर नाश ॥
धर्म-अर्थ औ’ काम से, मिला प्राण-भय चार ।
इन उपधाओं से परख, विश्वस्त है विचार ॥
2
जो कुलीन निर्दोष हो, निन्दा से भयभीत ।
तथा लजीला हो वही, विश्वस्त है पुनीत ॥
3
ज्ञाता विशिष्ट शास्त्र के, औ’ निर्दोष स्वभाव ।
फिर भी परखो तो उन्हें, नहिं अज्ञता-अभाव ॥
4
परख गुणों को फिर परख, दोषों को भी छान ।
उनमें बहुतायत परख, उससे कर पहचान ॥
5
महिमा या लघिमा सही, इनकी करने जाँच ।
नर के निज निज कर्म ही, बनें कसौटी साँच ॥
6
विश्वसनीय न मानिये, बन्धुहीन जो लोग ।
निन्दा से लज्जित न हैं, स्नेह शून्य वे लोग ॥
7
मूर्ख जनों पर प्रेमवश, जो करता विश्वास ।
सभी तरह से वह बने, जड़ता का आवास ।
8
परखे बिन अज्ञात पर, किया अगर विश्वास ।
संतित को चिरकाल तक, लेनी पड़े असाँस ॥
9
किसी व्यक्ति पर मत करो, परखे बिन विश्वास ।
बेशक सौंपो योग्य यद, करने पर विश्वास ॥
10
परखे बिन विश्वास भी, औ’ करके विश्वास ।
फिर करना सन्देह भी, देते हैं चिर नाश ॥
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