दूत Messenger

1
स्नेहशीलता उच्चकुल, नृप-इच्छित आचार ।
राज-दूत में चाहिये, यह उत्तम संस्कार ॥


2
प्रेम बुद्धिमानी तथा, वाक्शक्ति सविवेक ।
ये तीनों अनिवार्य हैं, राजदूत को एक ॥


3
रिपु-नृप से जा जो करे, निज नृप की जय-बात ।
लक्षण उसका वह रहे, विज्ञों में विख्यात ॥


4
दूत कार्य हित वह चले, जिसके रहें अधीन ।
शिक्षा अनुसंधानयुत, बुद्धि, रूप ये तीन ॥


5
पुरुष वचन को त्याग कर, करे समन्वित बात ।
लाभ करे प्रिय बोल कर, वही दूत है ज्ञात ॥


6
नीति सीख हर, हो निडर, कर प्रभावकर बात ।
समयोचित जो जान ले, वही दूत है ज्ञात ॥


7
स्थान समय कर्तव्य भी, इनका कर सुविचार ।
बात करे जो सोच कर, उत्तम दूत निहार ॥


8
शुद्ध आचरण संग-बल, तथा धैर्य ये तीन ।
इनके ऊपर सत्यता, लक्षण दूत प्रवीण ॥


9
नृप को जो संदेशवह, यों हो वह गुण-सिद्ध ।
भूल चूक भी निंद्य वच, कहे न वह दृढ़-चित्त ॥


10
चाहे हो प्राणान्त भी, निज नृप का गुण-गान ।
करता जो भय के बिना, दूत उसी को जान ॥

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