सभा में निर्भीकता straight forwardness

1
शब्द शक्ति के ज्ञानयुत, जो जन हैं निर्दोष ।
प्राज्ञ-सभा में ढब समझ, करें न शब्द सदोष ॥


2
जो प्रभावकर ढ़ंग से, आर्जित शास्त्र-ज्ञान ।
प्रगटे विज्ञ-समझ, वह, विज्ञों में विद्वान ॥


3
शत्रु-मध्य मरते निडर, मिलते सुलभ अनेक ।
सभा-मध्य भाषण निडर, करते दुर्लभ एक ॥


4
विज्ञ-मध्य स्वज्ञान की, कर प्रभावकर बात ।
अपने से भी विज्ञ से, सीखो विशेष बात ॥


5
सभा-मध्य निर्भीक हो, उत्तर देने ठीक ।
शब्द-शास्त्र, फिर ध्यान से, तर्क-शास्त्र भी सीख ॥


6
निडर नहीं हैं जो उन्हें, खाँडे से क्या काम ।
सभा-भीरु जो हैं उन्हें, पोथी से क्या काम ॥


7
सभा-भीरु को प्राप्त है, जो भी शास्त्र-ज्ञान ।
कायर-कर रण-भूमि में, तीक्षण खड्ग समान ॥


8
रह कर भी बहु शास्त्रविद, है ही नहिं उपयोग ।
विज्ञ-सभा पर असर कर, कह न सके जो लोग ॥


 9
जो होते भयभीत हैं, विज्ञ-सभा के बीच ।
रखते शास्त्रज्ञान भी, अनपढ़ से हैं नीच ॥


10
जो प्रभावकर ढ़ंग से, कह न सका निज ज्ञान ।
सभा-भीरु वह मृतक सम, यद्यपि है सप्राण ॥

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