ॐ नमो गुरुभ्यो गुरु पादुकाभ्यो Prayer of Mentor
-^- || श्रीगुरुपादुकापञ्चकम् || -^-
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरु पादुकाभ्यो
नम: परेभ्य: परपादुकाभ्य:|
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यो
नमो नम: श्रीगुरुपादुभ्य: ||१||
सर्व गुरुओं को नमस्कार है । गुरुपदुकाओं को नमस्कार है । श्री गुरुदेव के गुरुओं अथवा परगुरुओं को और उनकी पादुकाओं को नमस्कार है। आचार्यो और सिद्धविद्याओं के स्वामी सिद्धेश्वरों की पदुकोओं को नमस्कार है।
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एँकार ह्रींकार रहस्ययुक्त
श्रींकार गूढार्थ महाविभूत्या |
ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्याँ
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||२||
जो वागबीज ऐंकार और मायाबीज ह्रींकार के रहस्य से युक्त षोडशी बीज श्रींकार के गूढ़ अर्थ के महान ऐश्वर्य से ॐकार के मर्मस्थान को प्रकट करनेवाली है, ऐसी उन गुरुपदुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है|
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होत्राग्नि हौत्राग्नि हविष्य होतृ
होमादि सर्वाकृति भास्मानम् |
यद्ब्रह्म तद्बोध वितारिणीभ्याम
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||३||
होत्र और हौत्र इन दोनों प्रकार की अग्नियों में हवन सामग्री, होम करनेवाले होता और होम आदि इन सब में भासनेंवाले एक ही परब्रह्म तत्व का साक्षात अनुभव करा देनेवाली गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है|
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कामादि सर्प व्रज गारुडाभ्याम्
विवेकवैराग्य निधि प्रदाभ्याम् |
बोधप्रदाभ्याँ द्रुत मोक्ष्यदाभ्यां
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||४||
जो अंत:करण के काम-क्रोधादि महासर्पो के विष को उतारनेवाली विषवैद्य है, विवेक अर्थात अंतर-ज्ञान और वैराग्य की निधि को देनेवाली है, जो प्रत्यक्ष बोध-प्रदायिनी और शीघ्र मोक्ष देनेवाली है, श्रीगुरुदेव की ऐसी पादुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है|
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अनंतसंसारसमुद्रतार
नौकायिताभ्याम स्थिरभक्तिदाभ्याम्
जाड्याब्धिसंशोषणवाडवाभ्याम्
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||५||
अंतहीन संसाररूपी सागर को पार करने के लिए जो नौकारूप है; अविचल भक्ति को देनेवाली है; प्रमाद, आलस्य, अज्ञानरुपी जड़ता के समुद्र को सुखाने के लिए जो वड़वाग्नी (समुद्र में रहनेवाली आग) के सामान है; श्रीगुरुदेव की उन पादुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है ।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरु पादुकाभ्यो
नम: परेभ्य: परपादुकाभ्य:|
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यो
नमो नम: श्रीगुरुपादुभ्य: ||१||
सर्व गुरुओं को नमस्कार है । गुरुपदुकाओं को नमस्कार है । श्री गुरुदेव के गुरुओं अथवा परगुरुओं को और उनकी पादुकाओं को नमस्कार है। आचार्यो और सिद्धविद्याओं के स्वामी सिद्धेश्वरों की पदुकोओं को नमस्कार है।
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एँकार ह्रींकार रहस्ययुक्त
श्रींकार गूढार्थ महाविभूत्या |
ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्याँ
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||२||
जो वागबीज ऐंकार और मायाबीज ह्रींकार के रहस्य से युक्त षोडशी बीज श्रींकार के गूढ़ अर्थ के महान ऐश्वर्य से ॐकार के मर्मस्थान को प्रकट करनेवाली है, ऐसी उन गुरुपदुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है|
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होत्राग्नि हौत्राग्नि हविष्य होतृ
होमादि सर्वाकृति भास्मानम् |
यद्ब्रह्म तद्बोध वितारिणीभ्याम
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||३||
होत्र और हौत्र इन दोनों प्रकार की अग्नियों में हवन सामग्री, होम करनेवाले होता और होम आदि इन सब में भासनेंवाले एक ही परब्रह्म तत्व का साक्षात अनुभव करा देनेवाली गुरुदेव की पादुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है|
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कामादि सर्प व्रज गारुडाभ्याम्
विवेकवैराग्य निधि प्रदाभ्याम् |
बोधप्रदाभ्याँ द्रुत मोक्ष्यदाभ्यां
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||४||
जो अंत:करण के काम-क्रोधादि महासर्पो के विष को उतारनेवाली विषवैद्य है, विवेक अर्थात अंतर-ज्ञान और वैराग्य की निधि को देनेवाली है, जो प्रत्यक्ष बोध-प्रदायिनी और शीघ्र मोक्ष देनेवाली है, श्रीगुरुदेव की ऐसी पादुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है|
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अनंतसंसारसमुद्रतार
नौकायिताभ्याम स्थिरभक्तिदाभ्याम्
जाड्याब्धिसंशोषणवाडवाभ्याम्
नमो नम: श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ||५||
अंतहीन संसाररूपी सागर को पार करने के लिए जो नौकारूप है; अविचल भक्ति को देनेवाली है; प्रमाद, आलस्य, अज्ञानरुपी जड़ता के समुद्र को सुखाने के लिए जो वड़वाग्नी (समुद्र में रहनेवाली आग) के सामान है; श्रीगुरुदेव की उन पादुकाओं को नमस्कार है, नमस्कार है ।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
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