सैन्य माहात्म्य Importance of military
1
सब अंगों से युक्त हो, क्षत से जो निर्भीक ।
जयी सैन्य है भूप के, ऐश्वर्यों में नीक ॥
The army which is complete in its part & conquer without fear
of wounds is the chief wealth of King.
2
छोटा फिर भी विपद में, निर्भय सहना चोट ।
यह साहस संभव नहीं, मूल सैन्य को छोड़ ॥
3
चूहे-शत्रु समुद्र सम, गरजें तो क्या कष्ट ।
सर्पराज फुफकारते, होते हैं सब नष्ट ॥
4
अविनाशी रहते हुए, छल का हो न शिकार ।
पुश्तैनी साहस जहाँ, वही सैन्य निर्धार ॥
5
क्रोधिक हो यम आ भिड़े, फिर भी हो कर एक ।
जो समर्थ मुठ-भेड़ में, सैन्य वही है नेक ॥
6
शौर्य, मान, विश्वस्तता, करना सद्व्यवहार ।
ये ही सेना के लिये, रक्षक गुण हैं चार ॥
7
चढ़ आने पर शत्रु के, व्यूह समझ रच व्यूह ।
रोक चढ़ाई खुद चढ़े, यही सैन्य की रूह ॥
8
यद्यपि संहारक तथा, सहन शक्ति से हीन ।
तड़क-भड़क से पायगी, सेना नाम धुरीण ॥
9
लगातार करना घृणा, क्षय होना औ’ दैन्य ।
जिसमें ये होते नहीं, पाता जय वह सैन्य ॥
10
रखने पर भी सैन्य में, अगणित स्थायी वीर ।
स्थायी वह रहता नहीं, बिन सेनापति धीर ॥
सब अंगों से युक्त हो, क्षत से जो निर्भीक ।
जयी सैन्य है भूप के, ऐश्वर्यों में नीक ॥
The army which is complete in its part & conquer without fear
of wounds is the chief wealth of King.
2
छोटा फिर भी विपद में, निर्भय सहना चोट ।
यह साहस संभव नहीं, मूल सैन्य को छोड़ ॥
3
चूहे-शत्रु समुद्र सम, गरजें तो क्या कष्ट ।
सर्पराज फुफकारते, होते हैं सब नष्ट ॥
4
अविनाशी रहते हुए, छल का हो न शिकार ।
पुश्तैनी साहस जहाँ, वही सैन्य निर्धार ॥
5
क्रोधिक हो यम आ भिड़े, फिर भी हो कर एक ।
जो समर्थ मुठ-भेड़ में, सैन्य वही है नेक ॥
6
शौर्य, मान, विश्वस्तता, करना सद्व्यवहार ।
ये ही सेना के लिये, रक्षक गुण हैं चार ॥
7
चढ़ आने पर शत्रु के, व्यूह समझ रच व्यूह ।
रोक चढ़ाई खुद चढ़े, यही सैन्य की रूह ॥
8
यद्यपि संहारक तथा, सहन शक्ति से हीन ।
तड़क-भड़क से पायगी, सेना नाम धुरीण ॥
9
लगातार करना घृणा, क्षय होना औ’ दैन्य ।
जिसमें ये होते नहीं, पाता जय वह सैन्य ॥
10
रखने पर भी सैन्य में, अगणित स्थायी वीर ।
स्थायी वह रहता नहीं, बिन सेनापति धीर ॥
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