श्रवण Listening skill
1
धन धन में तो श्रवण-धन, रहता अधिक प्रधान ।
सभी धनों में धन वही, पाता शीर्षस्थान ॥
2
कानों को जब ना मिले, श्रवण रूप रस पान ।
दिया जाय तब पेट को, कुछ भोजन का दान ॥
3
जिनके कानों को मिला, श्रवण रूप में भोग ।
हवि के भोजी देव सम, भुवि में हैं वे लोग ॥
4
यद्यपि शिक्षित है नहीं, करे श्रवण सविवेक ।
क्लांत दशा में वह उसे, देगा सहाय टेक ॥
5
फिसलन पर चलते हुए, ज्यों लाठी की टेक ।
त्यों हैं, चरित्रवान के, मूँह के वच सविवेक ॥
6
श्रवण करो सद्विषय का, जितना ही हो अल्प ।
अल्प श्रवण भी तो तुम्हें, देगा मान अनल्प ॥
7
जो जन अनुसंधान कर, रहें बहु-श्रुत साथ ।
यद्यपि भूलें मोहवश, करें न जड़ की बात ॥
8
श्रवण श्रवण करके भला, छिद न गये जो कान ।
श्रवण-शक्ति रखते हुए, बहरे कान समान ॥
9
जिन लोगों को है नहीं, सूक्ष्म श्रवण का ज्ञान ।
नम्र वचन भी बोलना, उनको दुष्कर जान ॥
10
जो जाने बिन श्रवण रस, रखता जिह्वा-स्वाद ।
चाहे जीये या मरे, उससे सुख न विषाद ॥
धन धन में तो श्रवण-धन, रहता अधिक प्रधान ।
सभी धनों में धन वही, पाता शीर्षस्थान ॥
2
कानों को जब ना मिले, श्रवण रूप रस पान ।
दिया जाय तब पेट को, कुछ भोजन का दान ॥
3
जिनके कानों को मिला, श्रवण रूप में भोग ।
हवि के भोजी देव सम, भुवि में हैं वे लोग ॥
4
यद्यपि शिक्षित है नहीं, करे श्रवण सविवेक ।
क्लांत दशा में वह उसे, देगा सहाय टेक ॥
5
फिसलन पर चलते हुए, ज्यों लाठी की टेक ।
त्यों हैं, चरित्रवान के, मूँह के वच सविवेक ॥
6
श्रवण करो सद्विषय का, जितना ही हो अल्प ।
अल्प श्रवण भी तो तुम्हें, देगा मान अनल्प ॥
7
जो जन अनुसंधान कर, रहें बहु-श्रुत साथ ।
यद्यपि भूलें मोहवश, करें न जड़ की बात ॥
8
श्रवण श्रवण करके भला, छिद न गये जो कान ।
श्रवण-शक्ति रखते हुए, बहरे कान समान ॥
9
जिन लोगों को है नहीं, सूक्ष्म श्रवण का ज्ञान ।
नम्र वचन भी बोलना, उनको दुष्कर जान ॥
10
जो जाने बिन श्रवण रस, रखता जिह्वा-स्वाद ।
चाहे जीये या मरे, उससे सुख न विषाद ॥
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