सन्यासी महिमा Importance of Saint
1.
सदाचार संपन्न जो, यदि यति हों वे श्रेष्ठ ।
धर्मशास्त्र सब मानते, उनकी महिमा श्रेष्ठ ॥
2
यति-महिमा को आंकने, यदि हो कोई यत्न ।
जग में मृत-जन-गणन सम, होता है वह यत्न ॥
3
जन्म-मोक्ष के ज्ञान से, ग्रहण किया सन्यास ।
उनकी महिमा का बहुत, जग में रहा प्रकाश ॥
4
अंकुश से दृढ़ ज्ञान के, इन्द्रिय राखे आप ।
ज्ञानी वह वर लोक का, बीज बनेगा आप ॥
5
जो है इन्द्रिय-निग्रही, उसकी शक्ति अथाह ।
स्वर्गाधीश्वर इन्द्र ही, इसका रहा गवाह ॥
6
करते दुष्कर कर्म हैं, जो हैं साधु महान ।
दुष्कर जो नहिं कर सके, अधम लोक वे जान ॥
7
स्पर्श रूप रस गन्ध औ', शब्द मिला कर पंच ।
समझे इन्के तत्व जो, समझे वही प्रपंच ॥
8
भाषी वचन अमोध की, जो है महिमा सिद्ध ।
गूढ़ मंत्र उनके कहे, जग में करें प्रसिद्ध ॥
9
सद्गुण रूपी अचल पर, जो हैं चढ़े सुजान ।
उनके क्षण का क्रोध भी, सहना दुष्कर जान ॥
10
करते हैं सब जीव से, करुणामय व्यवहार ।
कहलाते हैं तो तभी, साधु दया-आगार ॥
सदाचार संपन्न जो, यदि यति हों वे श्रेष्ठ ।
धर्मशास्त्र सब मानते, उनकी महिमा श्रेष्ठ ॥
2
यति-महिमा को आंकने, यदि हो कोई यत्न ।
जग में मृत-जन-गणन सम, होता है वह यत्न ॥
3
जन्म-मोक्ष के ज्ञान से, ग्रहण किया सन्यास ।
उनकी महिमा का बहुत, जग में रहा प्रकाश ॥
4
अंकुश से दृढ़ ज्ञान के, इन्द्रिय राखे आप ।
ज्ञानी वह वर लोक का, बीज बनेगा आप ॥
5
जो है इन्द्रिय-निग्रही, उसकी शक्ति अथाह ।
स्वर्गाधीश्वर इन्द्र ही, इसका रहा गवाह ॥
6
करते दुष्कर कर्म हैं, जो हैं साधु महान ।
दुष्कर जो नहिं कर सके, अधम लोक वे जान ॥
7
स्पर्श रूप रस गन्ध औ', शब्द मिला कर पंच ।
समझे इन्के तत्व जो, समझे वही प्रपंच ॥
8
भाषी वचन अमोध की, जो है महिमा सिद्ध ।
गूढ़ मंत्र उनके कहे, जग में करें प्रसिद्ध ॥
9
सद्गुण रूपी अचल पर, जो हैं चढ़े सुजान ।
उनके क्षण का क्रोध भी, सहना दुष्कर जान ॥
10
करते हैं सब जीव से, करुणामय व्यवहार ।
कहलाते हैं तो तभी, साधु दया-आगार ॥
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