अशिक्षा Illiteracy
1
सभा-मध्य यों बोलना, बिना पढ़े सदग्रन्थ ।
है पासे का खेल ज्यों, बिन चौसर का बंध ॥
2
यों है अपढ़ मनुष्य की, भाषण-पटुता-चाह ।
ज्यों दोनों कुचरहित की, स्त्रीत्व-भोग की चाह ॥
3
अपढ़ लोग भी मानिये, उत्तम गुण का भौन ।
विद्वानों के सामने, यदि साधेंगे मौन ॥
4
बहुत श्रेष्ठ ही क्यों न हो, कभी मूर्ख का ज्ञान ।
विद्वज्जन का तो उसे, नहीं मिलेगा मान ॥
5
माने यदि कोई अपढ़, बुद्धिमान ही आप ।
मिटे भाव वह जब करें, बुध से वार्त्तालाप ॥
6
जीवित मात्र रहा अपढ़, और न कुछ वह, जान ।
उत्पादक जो ना रही, ऊसर भूमि समान ॥
7
सूक्ष्म बुद्धि जिसकी नहीं, प्रतिभा नहीं अनूप ।
मिट्टी की सुठि मूर्ति सम, उसका खिलता रूप ॥
8
शिक्षित के दारिद्रय से, करती अधिक विपत्ति ।
मूर्ख जनों के पास जो, जमी हुई संपत्ति ॥
9
उच्छ जाति का क्यों न हो, तो भी अपढ़ अजान ।
नीच किन्तु शिक्षित सदृश, पाता नहिं सम्मान ॥
10
नर से पशु की जो रहा, तुलना में अति भेद ।
अध्येत सद्ग्रन्थ के, तथा अपढ़ में भेद ॥
सभा-मध्य यों बोलना, बिना पढ़े सदग्रन्थ ।
है पासे का खेल ज्यों, बिन चौसर का बंध ॥
2
यों है अपढ़ मनुष्य की, भाषण-पटुता-चाह ।
ज्यों दोनों कुचरहित की, स्त्रीत्व-भोग की चाह ॥
3
अपढ़ लोग भी मानिये, उत्तम गुण का भौन ।
विद्वानों के सामने, यदि साधेंगे मौन ॥
4
बहुत श्रेष्ठ ही क्यों न हो, कभी मूर्ख का ज्ञान ।
विद्वज्जन का तो उसे, नहीं मिलेगा मान ॥
5
माने यदि कोई अपढ़, बुद्धिमान ही आप ।
मिटे भाव वह जब करें, बुध से वार्त्तालाप ॥
6
जीवित मात्र रहा अपढ़, और न कुछ वह, जान ।
उत्पादक जो ना रही, ऊसर भूमि समान ॥
7
सूक्ष्म बुद्धि जिसकी नहीं, प्रतिभा नहीं अनूप ।
मिट्टी की सुठि मूर्ति सम, उसका खिलता रूप ॥
8
शिक्षित के दारिद्रय से, करती अधिक विपत्ति ।
मूर्ख जनों के पास जो, जमी हुई संपत्ति ॥
9
उच्छ जाति का क्यों न हो, तो भी अपढ़ अजान ।
नीच किन्तु शिक्षित सदृश, पाता नहिं सम्मान ॥
10
नर से पशु की जो रहा, तुलना में अति भेद ।
अध्येत सद्ग्रन्थ के, तथा अपढ़ में भेद ॥
Comments
Post a Comment