उद्यमशीलता Always ready to work
1
दुष्कर यह यों समझकर, होना नहीं निरास ।
जानो योग्य महानता, देगा सतत प्रयास ॥
2
ढीला पड़ना यत्न में, कर दो बिलकुल त्याग ।
त्यागेंगे जो यत्न को, उन्हें करे जग त्याग ॥
3
यत्नशीलता जो रही, उत्तम गुणस्वरूप ।
उसपर स्थित है श्रेष्ठता, परोपकार स्वरूप ॥
4
यों है उद्यमरहित का, करना परोपकार ।
कोई कायर व्यर्थ ज्यों, चला रहा तलवार ॥
5
जिसे न सुख की चाह है, कर्म-पूर्ति है चाह ।
स्तंभ बने वह थामता, मिटा बन्धुजन-आह ॥
6
बढ़ती धन-संपत्ति की, कर देता है यत्न ।
दारिद्रय को घुसेड़ कर, देता रहे अयत्न ॥
7
करती है आलस्य में, काली ज्येष्ठा वास ।
यत्नशील के यत्न में, कमला का है वास ॥
8
यदि विधि नहिं अनुकूल है, तो न किसी का दोष ।
खूब जान ज्ञातव्य को, यत्न न करना दोष ॥
9
यद्यपि मिले न दैववश, इच्छित फल जो भोग्य ।
श्रम देगा पारिश्रमिक, निज देह-श्रम-योग्य ॥
10
विधि पर भी पाते विजय, जो हैं उद्यमशील ।
सतत यत्न करते हुए, बिना किये कुछ ढील ॥
दुष्कर यह यों समझकर, होना नहीं निरास ।
जानो योग्य महानता, देगा सतत प्रयास ॥
2
ढीला पड़ना यत्न में, कर दो बिलकुल त्याग ।
त्यागेंगे जो यत्न को, उन्हें करे जग त्याग ॥
3
यत्नशीलता जो रही, उत्तम गुणस्वरूप ।
उसपर स्थित है श्रेष्ठता, परोपकार स्वरूप ॥
4
यों है उद्यमरहित का, करना परोपकार ।
कोई कायर व्यर्थ ज्यों, चला रहा तलवार ॥
5
जिसे न सुख की चाह है, कर्म-पूर्ति है चाह ।
स्तंभ बने वह थामता, मिटा बन्धुजन-आह ॥
6
बढ़ती धन-संपत्ति की, कर देता है यत्न ।
दारिद्रय को घुसेड़ कर, देता रहे अयत्न ॥
7
करती है आलस्य में, काली ज्येष्ठा वास ।
यत्नशील के यत्न में, कमला का है वास ॥
8
यदि विधि नहिं अनुकूल है, तो न किसी का दोष ।
खूब जान ज्ञातव्य को, यत्न न करना दोष ॥
9
यद्यपि मिले न दैववश, इच्छित फल जो भोग्य ।
श्रम देगा पारिश्रमिक, निज देह-श्रम-योग्य ॥
10
विधि पर भी पाते विजय, जो हैं उद्यमशील ।
सतत यत्न करते हुए, बिना किये कुछ ढील ॥
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