फाइनेंशियल प्लानिंग!

फाइनेंशियल प्लानिंग!

बचत का सही निवेश फाइनेंशियल प्लानिंग से ही मुमकिन है। फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत निवेशकों को अपनी पहली नौकरी से शुरू कर देनी चाहिए। क्योंकि इस प्लानिंग से सोशल सिक्योरिटी का रास्ता निकलता है। सही निवेश की समझ और अनुशासन जरूरी होती है। निवेश से पहले अपने लक्ष्य तय करें । बिना प्लानिंग निवेश से नुकसान भी संभव है।

रिटायरमेंट की प्लानिंग कम उम्र से ही शुरु कर देनी चाहिए। युवाओं को पहली सैलरी से ही निवेश करना शुरु करना चाहिए। कम उम्र में छोटा निवेश भी लंबी अवधि में फायदेमंद साबित होता है। सरकारी सोशल सिक्योरिटी का खास फायदा नहीं होता। प्राइवेट प्रोफेशनल्स को अपनी सोशल सिक्योरिटी खुद हासिल करनी होगी। बचत और निवेश में देरी से नुकसान होने की संभावनाएं भी होती है।

टैक्स प्लानिंग और फाइनेंशियल प्लानिंग में फर्क होता है। अक्सर लोग टैक्स प्लानिंग साल के आखिर में करते हैं। जबकि फाइनेंशियल प्लानिंग साल की शुरुआत में की जाती है। केवल टैक्स बचाना फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं होता है। टैक्स प्लानिंग भी फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा होना चाहिए। मजबूरी में टैक्स प्लानिंग ना करें। प्लानिंग में एसेट एलोकेशन ठीक से करनी चाहिए। ईएलएसएस को लंबी अवधि का लक्ष्य बना सकते हैं। ईएलएसएस से टैक्स बचत के साथ साथ अच्छे रिटर्न भी मुमकिन होते है। प्लानिंग से पहले अपने लक्ष्यों की पहचान करें। और लक्ष्य के मुताबिक अलग अलग प्रोडक्ट्स में निवेश करें। अनिवार्य निवेश और प्लान निवेश में फर्क करना सीखें। टैक्स बचत के साथ साथ मजबूत फाइनेंशियल प्लानिंग बेहद जरूरी होती है।

रिटायरमेंट के लिए जल्दी बचत शुरू करनी चाहिए। रिटायरमेंट के बाद अच्छे रिटर्न की जरूरत होती है। भविष्य की लाइफ स्टाइल को देखकर  प्लानिंग करें। सही निवेश से भविष्य में अधिक रिटर्न मिलने की संभावनाएं रहती है। रिटायरमेंट लॉन्ग टर्म लक्ष्य है। युवा रहते हुए ही बचत की आदत डालें। पीपीएफ के साथ साथ दूसरे प्रोडक्ट में भी निवेश करें। सिर्फ पीपीएफ को आखिरी मंजिल न समझते  हुए हर लक्ष्य को अहम बनाएं। हर महीने न्यूनतम 1000 रुपये की बचत करना चाहिए।

रिटायरमेंट के बाद लोन मिलना मुश्किल होता है। टाइम लाइन मैच करने वाला प्रोडक्ट लें। इक्विटी में 2 साल के लिए निवेश फायदेमंद नहीं होता है। 30 साल के लिए रिकरिंग डिपॉजिट खोलना गलत होता है। लंबे समय के लिए डेट प्रोडक्ट सही नहीं होता। डेट छोटी अवधि के लिए सही प्रोडक्ट है। महंगाई को ध्यान में रखकर निवेश करें।

इंश्योरेंस की प्लानिंग होना भी बहुत जरूरी होता है। इंश्योरेंस से पहले पूरी तरह जांच पड़ताल करें। इंश्योरेंस को लेकर सही सलाह लें। हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म प्लान जरूर लें। खर्चे और बचत के मुताबिक इंश्योरेंस लें। रिटायरमेंट का सोचकर इंश्योरेंस में निवेश न करें।

लक्ष्य,बचत और अवधि का तालमेल होना चाहिए। लक्ष्यों की प्राथमिकता तय करनी चाहिए। निवेश के सही प्रोडक्ट का चुनाव करे। म्युचुअल फंड्स फायदेमंद हो सकते हैं। शॉर्ट टर्म में इक्विटी में निवेश ना करें। 3-5 साल के नजरिए से इक्विटी में 20 फीसदी तक ही निवेश करें। 10 साल के नजरिए से 50-70 फीसदी तक ही निवेश करें।

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