कृषि Agriculture
कृषि Agriculture ♥प्रगतशील शेतकरी♥
1
कृषि-अधीन ही जग रहा, रह अन्यों में घुर्ण ।
सो कृषि सबसे श्रेष्ठ है, यद्यपि है श्रमपूर्ण ॥
2
जो कृषि की क्षमता बिना, करते धंधे अन्य ।
कृषक सभी को वहन कर, जगत-धुरी सम गण्य ॥
3
जो जीवित हैं हल चला, उनका जीवन धन्य ।
झुक कर खा पी कर चलें, उनके पीचे अन्य ॥
4
निज नृप छत्रच्छाँह में, कई छत्रपति शान ।
छाया में पल धान की, लाते सौम्य किसान ॥
5
निज कर से हल जोत कर, खाना जिन्हें स्वभाव ।
माँगें नहिं, जो माँगता, देंगे बिना दुराव ॥
6
हाथ खिँचा यदि कृषक का, उनकी भी नहिं टेक ।
जो ऐसे कहते रहे ‘हम हैं निस्पृह एक’ ॥
7
एक सेर की सूख यदि, पाव सेर हो धूल ।
मुट्ठी भर भी खाद बिन, होगी फ़सल अतूल ॥
8
खेत जोतने से अधिक, खाद डालना श्रेष्ठ ।
बाद निराकर सींचना, फिर भी रक्षण श्रेष्ठ ॥
9
चल कर यदि देखे नहीं, मालिक दे कर ध्यान ।
गृहिणी जैसी रूठ कर, भूमि करेगी मान ॥
10
‘हम दरिद्र हैं’ यों करे, सुस्ती में आलाप ।
भूमि रूप देवी उसे, देख हँसेगी आप ॥
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