देव दीपावली 2015 की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
धन, आयु व आरोग्य देती है कार्तिक पूर्णिमा 25 Nov 2015--भगवान विष्णु के शीघ्र फलदायी मंत्र
देव दीपावली की पौराणिक कथाएँ---कार्तिक पूर्णिमा में करें दीपदान, मिलेंगे अमिट फल
देव दीपावली की पृष्ठभूमि पौराणिक कथाओं से भरी हुई है। इस कथा के अनुसार भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर सभी को उत्पीडि़त करने वाले राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया, जिसके उल्लास में देवताओं ने दीपावली मनाई, जिसे आगे चलकर देव दीपावली के रूप में मान्यता मिली।
देव दीपावली - Muhurat--25th of Novemeber 2015.
Purnima Tithi Begins = 07:09 on 25/Nov/2015
Purnima Tithi Ends = 04:14 on 26/Nov/2015
कार्तिक मास में करें दीपदान, मिलेंगे अमिट फल
पुराणों कहते हैं कि कार्तिक मास में धन से संबंधित विशेष आराधना व उपासना की जाती है, जिससे धन, आयु व आरोग्य की प्राप्ति होती है। अपने अंधकार दूर होकर जीवन प्रकाशमान हो जाता है। भगवान नारायण विष्णु एवं लक्ष्मी जी को दीपक लगाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं। मनुष्य पुण्य का भागी होकर वह लक्ष्मी कृपा को प्राप्त करता है।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में दीपदान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं। इस मास में धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है। कहा जाता है कि इस महीने में जो मनुष्य देवालय, नदी किनारे, तुलसी के समक्ष एवं अपने शयन कक्ष में दीप लगाता (जलाता) है, उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।
धन, आयु व आरोग्य देती है कार्तिक पूर्णिमा--भगवान विष्णु के शीघ्र फलदायी मंत्र
धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जगत का पालन करने वाले देवता हैं। उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का स्मरण कर
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना फलदायी रहता है।
श्रीहरि विष्णु के विविध मंत्र, जिनका जाप कर धन-वैभव एवं संपन्नता पाई जा सकती हैं।
* लक्ष्मी विनायक मंत्र -
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
* विष्णु के पंचरूप मंत्र -
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
* ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
* सरल जाप -
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
* धन-वैभव एवं संपन्नता पाने का विशेष मंत्र ------------------------
- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
* शीघ्र फलदायी मंत्र --------------------------------------
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
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- ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
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- ॐ विष्णवे नम:
स्कंद पुराण तथा पद्म पुराण के अनुसार यह माह धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को देने वाला कहा गया है। इस माह में खास तौर पर दीपावली के बाद गोपाष्टमी, आंवला नवमी और देवउठनी एकादशी पर पूजन का काफी महत्व है|
इसके साथ ही इस माह के अंतिम दिन में आने वाली बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन और चातुर्मास की समाप्ति कार्तिक पूर्णिमा पर होती है। कार्तिक पूर्णिमा धन, आयु व आरोग्य देती है तथा मनुष्य के लिए मोक्ष के द्वार खोलती है।
इसी संदर्भ में एक अन्य कथानक भी है।
त्रिशंकु को राजर्षि विश्वामित्र ने अपने तपोबल से स्वर्ग पहुँचा दिया। देवतागण इससे उद्विग्न हो गए और त्रिशंकु को देवताओं ने स्वर्ग से भगा दिया। शापग्रस्त त्रिशंकु अधर में लटके रहे। त्रिशंकु को स्वर्ग से निष्कासित किए जाने से क्षुब्ध विश्वामित्र ने पृथ्वी-स्वर्ग आदि से मुक्त एक नई समूची सृष्टि की ही अपने तपोबल से रचना प्रारंभ कर दी।
उन्होंने कुश, मिट्टी, ऊँट, बकरी-भेड़, नारियल, कोहड़ा, सिंघाड़ा आदि की रचना का क्र!म प्रारंभ कर दिया। इसी क्रम में विश्वामित्र ने वर्तमान ब्रह्मा-विष्णु-महेश की प्रतिमा बनाकर उन्हें अभिमंत्रित कर उनमें प्राण फूँकना आरंभ किया। सारी सृष्टि डाँवाडोल हो उठी। हर ओर कोहराम मच गया। हाहाकार के बीच देवताओं ने राजर्षि विश्वामित्र की अभ्यर्थना की।
महर्षि प्रसन्न हो गए और उन्होंने नई सृष्टि की रचना का अपना संकल्प वापस ले लिया। देवताओं और ऋषि-मुनियों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। पृथ्वी, स्वर्ग, पाताल सभी जगह इस अवसर पर दीपावली मनाई गई। यही अवसर अब देव दीपावली के रूप में विख्यात है।
देव दीपावली 2015 की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ------------------
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